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गुरुवार, 17 मार्च 2011

"होली के मनभावन पकवान" (अमर भारती"

मट्ठे वाले सुपाचक बड़े
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इसके लिए सबसे पहले कम से कम 
एक किलो दही का मट्ठा तैयार कर लीजिए! 
ध्यान रखें कि यह अधिक पतला न हो।
 इसमें नमक-मिर्च अभी न मिलाएँ।
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अब अपनी आवश्यकता अनुसार पहले से मिगोकर रखी 
उड़द की धुली दाल की पिट्ठी पीस लें 
और उसमें एक चुटकी हींग मिलाकर फेंट ले।
प्लेट या थाली को पलट कर उस पर गीला कपड़ा रखकर 
पिट्ठी की लोई बनाकर गीले हाथ से फैलाकर 
बरे बनाएँ और उनके बीच में अँगुली से सुराख बना कर 
सरसों के गर्म तेल में कड़ाही में डाल दें।
अब इनको काफी देर तक बादामी होने तक तल कर निकलते जाएँ।
अब कड़ाही का तेल निकाल लें और 20-25 ग्राम तेल कड़ाही में डालकर उसमें 3-4 चम्मच जीरा डालकर इसको ब्राउन होने पर 
2-चम्मच हल्दी को भूनें। अब इसमें खूब सारा पानी मिला दें। 
टेस्ट के अनुसार नमक-काला नमक और लाल मिर्च भी डाल दें। 
ध्यान रक्खें कि यह पानी मट्ठे में मिलाना है 
अतः नमक-मिर्च कुछ अधिक ही इसमें डालना होगा। 
जब यह पानी खूब खौल जाए और लाल रंग का हो जाएँ तो 
इसमें पहले से ही तलकर रक्खे हुए बरों को थोड़ा ठण्डा होने पर 
कड़ाही में डाल दें।
बरे जब कुछ मुलायम हो जाएँ तो इन्हें एक थाली में निकाल लीजिए।
अब कड़ाही में बचा हुआ हल्दी-नमक मिर्च का पानी ठण्डा करके 
मट्ठे में मिला दें और इनमें बरे डुबो दें। 
एक घण्टे बाद बरे खाएँ और पाचक मट्ठे को पीते जाएँ। 
आपको यह स्वाद भुलाए न भूलेगा और पाचन भी ठीक रहेगा।
खाकर बताइए कि यह बरे आपको कैसे लगे?

चुराइए मत! अनुमति लेकर छापिए!!

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