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गुरुवार, 26 नवंबर 2009

"गोल-गप्पे (पानी-पूड़ी) घर में बनाएँ।" (श्रीमती अमर भारती)



पानी पटाके, पानी पूरी या गोल-गप्पे देखकर 
किसके मुँह में पाही नही आ जाता!


आइए आज आपको घर में ही 
स्वादिष्ट  गोल-गप्पे बनाने की विधि बतलाती हूँ-


एक कटोरी गेहूँ का आटा और आधी कटोरी सूजी को मिलाकर इसमें पानी डालकर आटे की तरह गूँथ लें!
15 मिनट बाद इसकी लोइयाँ बनाकर पतली-पतली  रोटी बेल लें। रोटी को किसी छोटी कटोरी या छोटे डिब्बे के ढक्कन से गोल-गोल काट लें और एक बड़ी-ट्रे में काफी गीला कपड़ा बिछाकर उस पर ये गोल-गोल छोटी पूड़ियाँ लाइन से रखते जाएँ! कपड़ा भर जाने पर उसपर दूसरा कपड़ा गीला करके फिर बिछा दें। सारी पूड़ियाँ  रखने के बाद फिर एक गीले कप़ड़े से ढक कर पानी का हल्का छींटा लगा दें।  इन्हें 20 मिनट के लिए ढका रहने दें।

अब कड़ाही में रिफाइण्ड तेल  लेकर  कड़ाही को गैस-चूल्हे पर चढ़ा दे। तेल गर्म हो जाने के बाद आँच धीमी कर दें। अब एक-एक पूड़ी लेकर उसमे छोड़ें। पूड़ी को तेल के ऊपर  आते ही उसे तुरन्त पलट दें और चमचे से धीरे धीरे दबाएँ। पूरी फूलकर गोलगप्पा हो जायेगी।

 ध्यार रहे- यदि पूड़ी पलटने मे देर लग जायेगी तो वह फूलेगी नही 
इन गोल-गप्पों को बादामी तलें। फिर इन्हे निकाल कर एक बड़ी छलनी में निकालते जाएँ। छलनी के नीचे एक गहरा बर्तन रख दें। इसमें पूड़ियों का फालतू तेल निकल जायेगा। अब इन्हें अखबार बिछाकर रखते जायें।।

इस तरह से सारी पूड़ियाँ तलकर निकालते जायें

अब आपको इनके लिए स्वादिष्ट चटपटा पानी बनाना है।
100 ग्राम इमली गूदा लें और उसमें चीनी और पानी  डालकर स्टील के भगौने मे उबाल लें। ठण्डा हो जाने पर इसे मसल कर मोटी छलनी से छान लें। इस तरह से मीठी चटनी तैयार हो जायेगी।
इस चटनी को स्वादानुसार पानी में मिला दें। 
(बाकी बची चटनी रख दें यह सोंठ या सॉस की तरह से पानी पूड़ियों मे डालने के काम आयेगी।)
चटनी मिले पानी में गरम-मसाला, नमक,  काला नमक, पिसी मिर्च और हरी धनिया पीसकर स्वादानुसार मिला दें। 

अब आपके पास पानी पूड़ी और चटपटा अर्क भी तैयार है। 
उबले आलू या सफेद चने (छोले) उबालकर गोल-गप्पों में थोड़ा सा भरें और इस चटपटे स्वादिष्ट पानी में डुबोकर खायें। 
आप चाट के ठेले पर जाना भूल जायेंगे।


शुक्रवार, 20 नवंबर 2009

"पौष्टिक दलिया घर पर ही बनाइए" (अमर भारती)



"पौष्टिक दलिया"
आप दलिया तो प्रतिदिन या एक-आधे सप्ताह मे खाते ही होंगे।
आज मैं घर में ही दलिया बनाने की सरल विधि आपको बताने जा रही हूँ।
500 ग्राम के लगभग साफ गेहूँ लें और उनको मिक्सी में डालकर 2 मिनट तक पीस लें।
अब बारीक छलनी में उन्हें छान लें।
छलनी मे यदि गेंहूँ अधिक मोटे लगें तो एक बार फिर से मिक्सी में पीस लें और छान लें।
(छने हुए आटे को या तो आप आटे में मिला दें, या इसका स्वादिष्ट हलवा बना कर खायें)
छलनी में जो मोटा दलिया बचे उसे एक बार आप मोटी छलनी से 
छान लें। छने हुए बारीक दलिए को आप घी में भूनकर दूध में पका लें और चीनी डालकर 
मीठे दलिए का आनन्द लें।
अरे! 
मुख्य बात तो रह ही गई!
आपके पास मोटा दलिया तो रह ही गया।
अब इससे पौष्टिक दलिया बनाने की विधि निम्न है-
100 ग्राम मोटा दलिया लेकर इसमें 25 ग्राम मूँग की दाल, 25 ग्राम चावल, एक-दो चम्मच सफेद तिल, 
यदि स म्भव हो तो 25 ग्राम बाजरा (मिक्सी में 1 मिनट तक घुमा कर छिलका उतार लें) भी मिला लें। प्रैशर-कुकर में 600 ग्राम पानी और यह सामग्री डालकर स्वाद अनुसार नमक और आधा चम्मच अजवाइन+ आधा 
चम्मच जीरा पीसकर डाल दें। पैसर आने पर 5 मिनट तक पकाएँ और 10 मिनट बाद ही कुकर का ढक्कन 
खोलें।
अब इसको 2 चम्मच देशी घी में जीरा भूनकर छौंक दें।
स्वादिष्ट और पौष्टिक दलिया तैयार है।
घर में इस ताजा दलिए को बनाकर और खाकर 
आप बाजार में रेडीमेड बने 
या आश्रमों के बने दलिए को भूल जायेगे।

सोमवार, 16 नवंबर 2009

"उड़द की दाल की खिचड़ी" (श्रीमती अमर भारती)

रविवासरीय पहेती कुछ  समय के लिए स्थगित कर दी गईं है।
इससे पहली पोस्ट में मैंने आपको आँवले का ताजा अचार बनाने की विधि बताई थी।
इस पर एक सुधि पाठक श्री सिद्धेश्वर सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया निम्नरूप मे व्यक्त की थी-
sidheshwer ने कहा…
बहुत सरल शब्दों में अचार बनाने की विधि समझाई गई है और आजकल आँवला भी खूब मिल रहा है , सो
-०१- बाजार जाकर आँवले लाते हैं.०२- आपकी बताई विधि से बनाते हैं.और०३- खिचड़ी की दावत पर आपको बुलाते हैं. लेकिन एक अनुरोध-स्वादिष्ट खिचड़ी (उड़द दाल की) बनाने की विधि तो बतायें ताकि जल्दी हम आपको दावत पर बुलायें।
आदरणीय सिद्धेश्वर सिंह जी आपकी दावत स्वीकार है। 
स्वादिष्ट उड़द दाल की खिचड़ी इस प्रकार से बनाएँ-
दो गिलास नये चावल (इन्द्रासन धान के या अन्य किसी भी किस्म के)
आधा गिलास उड़द की छिलके वाली दाल को ध्यानपूर्वक बीन लें ताकि पत्थर आदि की 
सम्भावना न रहे।
इसके बाद दाल और चावल को मिलाकर 4-5 बार साफ पानी से धो लें।
अब इसे प्रैशर-कुकर में डाल लें। 

इसमें चार गिलास पानी और दो छोटे चम्मच नमक(या स्वादानुसार)
डालकर धीमी आँच पर पकाएँ। सीटी लगने के 2 मिनट बाद गैस बन्द कर दें।
15 मिनट बाद कुकर को खोलें।
स्वादिष्ट खिचड़ी तैयार है।


इसे भोजन-थाल में परोसकर रुचि के अनुसार देशी-घी मिलाकर खायें।
इसके साथ अचार, हरा धनिया-हरी मिर्च और टमाटर की ताजा चटनी,
सिरके वाली मूली, हल्दी-जीरा-राई से छौंका हुआ मट्ठा, 
फूल-गोभी की सब्जी,
आँवला का ताजा अचार और पापड़ हो तो 
इस खिचड़ी के आगे सारे व्यञ्जन बेकार हैं।
सर्दी के मौसम में इससे बढ़िया दूसरा भोजन हो ही नही सकता।
चित्र मे एक बाउल में पीली वस्तु कढ़ी नही है, 
हल्दी और राई से छौंका गया मट्ठा है!

गुरुवार, 12 नवंबर 2009

"आँवले का ताजा अचार" (श्रीमती डॉ.अमर भारती)

आँवला खाइए! सेहत बनाइए!!

(आँवले का अचार)


जाड़े का मौसम दस्तक दे चुका है। ऐसे में खिचड़ी खाई जाये और साथ में आँवले का ताजा-ताजा अचार हो तो उड़द की दाल की खिचड़ी का स्वाद बहुत बढ़ जाता है।
आइए, आज मैं आपको आँवला का ताजा अचार बनाने की विधि बताती हूँ।
आधा किलो ताजे आँवले लें और उन्हें साफ पानी से धो लें। अब इनको साफ पानी में एक छोटा चम्मच नमक डालकर उबाल लें। उबल जाने पर इनका पानी फेंक दें और साफ पानी से धो लें।
लोहे की कड़ाही में 4-टेबिल स्पून तेल डालकर चूल्हे पर चढ़ा दें। तेल गरम हो जाने पर उसमें एक छोटा चम्मच जीरा डाल दें, जीरा भुन जाने पर चार टेबिल-स्पून पिसा धनिया पाउडर, एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर, नमक-मिर्च स्वादानुसार पानी में धोलकर डालें। यह मसाला भुन जाने पर इसमें उबले आँवले डाल दें। थोड़ी देर तक इन्हें मसाले के साथ चलायें और 200ग्राम पानी डालकर धीमी आँच पर पानी सूखने तक पकने दें। 
(नोटः- यह भी ध्यान रखें कि इस अचार में नमक सामान्य से कुछ अधिक ही डाला जाता है)
आँवलों का पानी सूख जाने पर इन्हें किसी स्टील या चीनी-मिट्टी के पात्र में पलट लें। 
बस तैयार है आँवले का मजेदार अचार। यह अचार गुणकारी भी है और बनाने में भी आसान है।
इन्हें खिचड़ी या पराँठे के साथ खायें। अचार का स्वाद आपको भुलाए नही भूलेगा।
इस अचार को फ्रिज में रखकर एक सप्ताह तक खाया जा सकता है।

रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-10 का उत्तर

विवासरीय साप्ताहिक पहेली-8 का सही उत्तर था
Chitai Temple, Almora
इसे गोलू देवता का मन्दिर भी कहा जाता है।


जिसके विजेता हैं
श्री M VERMA जी

रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-10 का सही उत्तर देने वाले नं.-2 हैं-श्री समीरलाल जी Udan Tashtari
रविवासरीय साप्ताहिक पहेली10 का सही उत्तर देने वाले नं.-3 हैं-
श्री ताऊ रामपुरिया

रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-10 में सही उत्तर देने वाली नं०-4 हैं-
सुश्री seema gupta जी
रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-10 का सही उत्तर देने वाले नं.-5 हैं-
श्री प्रकाश गोविन्द जी
निम्न प्रमाणपत्र श्री M VERMA जी की सम्पत्ति है।

इसके अतिरिक्त  डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" एवं श्री MANOJ KUMAR ने भी इस प्रतियोगिता में भाग लेकर हमारा उत्साहवर्धन किया।
आज के विजेता  श्री M VERMA जी सहित 
सभी प्रतिभागियों को हार्दिक बधाइयाँ!
रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-9 में
अगले रविवार को सायं 5 बजे अवश्य भाग लें।

मंगलवार, 10 नवंबर 2009

रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-10


क्षमा करें!
नेट खराब होने के कारण पहेली लगाने में विलम्ब हो गया।
रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-10 में आप सबका स्वागत है।
आपको पहचान कर निम्न चित्र का
नाम और स्थान बताना है।



उत्तर देने का समय 11 नवम्बर सायं 6 बजे तक।
परिणाम बृहस्पतिवार 12 नवम्बर को
सुबह 9 बजे प्रकाशित किये जायेंगे।
पहले सही उत्तर देने वाले प्रतिभागी को
नम्बर-1 दिया जायेगा
और पहेली का विजेता घोषित किया जायेगा।
इन्हें रविवासरीय आन-लाइन प्रमाणपत्र दिया जायेगा।
जिसे वह अपने ब्लॉग पर लगाने के अधिकृत होंगे।

सही उत्तर देने अन्य प्रतिभागियों को
क्रमश: 2-3-4-5- के स्थान पर रखा
रविवासरीय साप्ताहिक पहेली -11 अगले रविवार को
सायं 5 बजे प्रकाशित की जायेगी।

बुधवार, 4 नवंबर 2009

रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-9 का उत्तर

विवासरीय साप्ताहिक पहेली-9 का सही उत्तर था

प्रतापनगर का पौराणिक मन्दिर (उत्तराखण्ड)
प्रतापनगर की स्थापना प्रतापशाह ने सन 1897 में की, यहाँ पर एक पौराणिक मंदिर ग्राम खोलगढ़ के बुजुर्गों द्वारा स्थापित था जिसका जीर्णोधार महाराजा प्रतापशाह द्वारा किया गया | यह मंदिर पंचनाम देव का है | इस मंदिर के अन्दर काले संगमरमर की रघुनाथ जी की मूर्ति स्थापित थी जी चोरों द्वारा चुरा ली गयी थी | जिसका कुछ पता नहीं चला | इस मंदिर के पुजारी जोशी ब्रह्मण हैं जिनकी तीसरी पीढी के श्री गिरीशचंद जोशी आज भी मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं | मंदिर के अन्दर माँ राजराजेश्वरी की पीतल की मूर्ति थी जो चोरी हो गयी थी | इस वक़्त मंदिर के अन्दर सुर्यनारायण , गणेश जी की मूर्तियां संगमरमर की मौजूद है साथ ही मंदिर के अन्दर एक शिवलिंग भी संगमरमर का मौजूद है | इस मंदिर के पुजारी श्री जोशी अल्मोडा के झिझाड गाँव से रजा प्रतापशाह ने ला रखे हैं| पुजारी श्री जोशी के अन्य भाई पुरानी टिहरी के मंदिरों के पुजारी थे | रजा इनको प्रतिमाह राशन , पूजा सामग्री एवं वेतन दिया करते थे इनके रहने के लिए मकान मंदिर के पास ही है | पुरानी टिहरी डूबने के बाद इस मंदिर के पुजारी को लगभग बर्षों से कोए सहायता नहीं मिल पायी स्वयं के प्रयास एवं कमाई से जोशी जी पूजा अर्चना की सामग्री की व्यवस्था करते हैं | मंदिर में आय का कोए साधन नहीं है ( जिससे  मंदिर जीर्ण - शीर्ण हालत में है ) | मंदिर में चरों ओर बरामदा एवं कमरा है बहार ऊपर की ओर दो गुम्बद है जिनपर चददरें मढ़ी है | जगह - जगह चददर उखड गयी है मंदिर के ऊपर दो कलश लगे हैं एक अष्टधातु तथा एक पीतल का है | पीतल के कलश की चमक सोने जैसी है और अभी तक चमकती है | महाराजा ने मंदिर के वन्धान एवं वेतन को बंद न करने का वचन दे रखा था | पुजारी के पूर्वज 12  महीने यहीं रहा करते थे आज भी श्री गिरीशचंद जोशी यहीं 12 महीने रहते हैं | प्रतापनगर का पुराना नाम ठांगधार था यहाँ पर ग्राम पंचायत खोलगढ़ पल्ला की नामशुदा जमीन थी जिसको राजा ने अधिग्रहण कर जमीन के मालिकों को मिश्रवाण गाँव के नीचे तलाउ खेत दिए जिसका नाम आज धारगढ है | जो आज ग्राम पंचायत मिश्रवाण गाँव का हिस्सा है।
जिसके विजेता हैं
श्री Mishra Pankaj जी

निम्न प्रमाणपत्र श्री Mishra Pankaj जी की सम्पत्ति है।



इसके अतिरिक्त  डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" , श्री प्रकाश गोविन्द जी, श्रीमती Babli जी, श्रीमती वन्दना जी दि ने भी इस प्रतियोगिता में भाग लेकर हमारा उत्साहवर्धन किया।
आज के विजेता श्री Mishra Pankaj जी सहित 
सभी प्रतिभागियों को हार्दिक बधाइयाँ!
रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-10 में
अगले रविवार को सायं 5 बजे अवश्य भाग लें।

रविवार, 1 नवंबर 2009

रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-9


रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-9 में आप सबका स्वागत है।

आपको पहचान कर निम्न चित्र का
नाम और स्थान बताना है।


उत्तर देने का समय 3 नवम्बर सायं 6 बजे तक।
परिणाम बुधवार 4 नवम्बर को
सुबह 9 बजे प्रकाशित किये जायेंगे।
पहले सही उत्तर देने वाले प्रतिभागी को
नम्बर-1 दिया जायेगा
और पहेली का विजेता घोषित किया जायेगा।
इन्हें रविवासरीय आन-लाइन प्रमाणपत्र दिया जायेगा।
जिसे वह अपने ब्लॉग पर लगाने के अधिकृत होंगे।

सही उत्तर देने अन्य प्रतिभागियों को
क्रमश: 2-3-4-5- के स्थान पर रखा
रविवासरीय साप्ताहिक पहेली - अगले रविवार को
सायं 5 बजे प्रकाशित की जायेगी।

चुराइए मत! अनुमति लेकर छापिए!!

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